१ भगवान की भक्ति
भगवत भक्ति ही मानव मात्र का उद्धार कर सकती है, बाकी कोई उपाय नही है।प्रभु को निरंतर भजना जरूरी है,भक्ति जरूरी है ।
प्रभु के किसी भी रूप की भक्ति करने से जीवन सार्थक होगा ,सफल होगा।
भक्ति का कोई भी तरीका प्रभु कृपा के लिए अपना सकते हैं, जैसे भजन,कीर्तन,मंत्र,पूजा,प्रार्
इस श्रष्टि को चलाने वाला सर्व शक्तिमान भगवान ही है,उस प्रभु के आदेश से इस ब्रह्मांड की गतिविधि चलती है।
कलयुग मे जैसे जैसे आयु कम होती जा रही है ।
मेरे भगवन भी थोड़े (कम) समय भक्ति करने पर भी कृपा कर देते हैं ।जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं क्योंकि अब पुरातन काल जैसा कुछ नही रहा।
पहले हजारों साल तपस्या करते थे लेकिन कलयुग मे यह संभव नही है क्योंकि आयु सिर्फ ९० वर्ष रह गई है ।
लेकिन कलयुग मे आप भगवत भजन,कीर्तन,से प्रभु कृपा प्राप्त कर सकते हैं ।
२ भक्ति का समय
हमारी मानसिकता है कि भक्ति करने का समय वृद्धावस्था मे आता है,लेकिन ऐसा नही है।मनुष्य पैदा ही इसलिए हुआ है कि वह निरन्तर आजीवन अपनी जिम्मेदारी और फर्ज निभाते हुए भक्ति करे।
लेकिन मनुष्य की मानसिकता बन गई है कि मेरे पास समय नही है,चौबीस घंटों मे से एक घंटे की भक्ति आपके जीवन को सार्थक कर देगी।मनुष्य को भक्ति करने मे आलस्य आता है,आनंद की अनुभूति नही होती ।
अब हर उम्र के लोगों को महारासलीला धाम मे भक्ति करने मे आनंद भी प्राप्त होगा ओर भगवान की कृपा भी ।मन मे सिर्फ एक ही बात रहेगी कि कब मैं महारासलीला धाम मे पहुँच जाऊँ और भक्ति करूं ।
मानव का बचपन पढ़ाई मे,जवानी कमाने मे बीत जाती है लेकिन भक्ति नही कर पाता ।अब वह सोचता है कि वृद्धावस्था मे भक्ति करूँगा।
लेकिन यह भी नही हो पाता कुछ लोग वृद्धाश्रम मे रहकर अपनी औलाद को कोसने मे बचा हुआ जीवन बिताते हैं,कुछ पोते पोतियों को सम्भालने मे,कुछ घर का सामान लाने मे।
इसलिए भक्ति को बचपन से अपनाये,अपने बच्चों को भक्ति के लिए प्रेरित करें और महारासलीला धाम मे भक्ति करें ।
महारासलीला धाम मे जो भक्ति होगी वह है भक्ति करने का आखिरी पड़ाव (नृत्य भक्ति ) जहाँ हर व्यक्ति हो जाएगा प्रभु के प्रेम मे दीवाना,तो दीवाने पर भगवान की कृपा की वर्षा तो होगी ही।
कलयुग मे इतना ही कर लें तो प्रभु की कृपा निश्चित ही प्राप्त होगी।क्योंकि कलयुग के दो उदाहरण हमारे सामने हैं।
मीरा बाई और नरसिंह मेहता ये भी केवल भक्ति मे दीवाने हुवे थे,भजन और मंदिर मे नृत्य किया ।
भगवान कृष्ण प्रसन्न हुुवे ओर कृपा की।
३ सत्य एक तपस्या
भगवान को प्रसन्न करने के लिए, उनसे मनचाहा वर माँगने के लिए,या फिर स्वयं को ब्रह्मलीन करने के लिए तपस्या की जाती है ।
सतयुग मे हजारों वर्ष तपस्या की जाती थी तब भगवान प्रसन्न होते थे।तपस्या सफल होती थी ।
लेकिन कलयुग मे हजारों वर्ष तपस्या करने की आवश्यकता नही है।
हमेशा सत्य बोलना भी एक तपस्या ही है,यह तपस्या आप अपने जीवन मे लगातार कर सकते हैं ।
इसके लिए आपको अलग से कोई समय नही देना है।
काम करते रहें और तपस्या भी।
अगर आपने सत्य को जीवन मे अपना लिया तो सभी भगवान और देवी देवताओं की कृपा आप पर रहेगी।
सत्य आपको कभी पराजित नही होने देता।सत्य में स्वयं भगवान वास करते हैं,जब जब आप सत्य बोलेंगे
आपको भगवान का स्मरण करने का फल प्राप्त होगा।
४ दान (भगवान का टेक्स)
मनुष्य जीवन मे दान का बड़ा महत्व है,वास्तव मे दान को गम्भीरता से सोचा जाय तो यह भगवान को दिया जाने वाला टेक्स भी है,जिसको देना हर व्यक्ति की मजबूरी भी है लेकिन मनुष्य इस ज्ञान से वंचित है।
इंसान जिस देश में रहते है वहाँ की सरकार उससे मजबूरन टेक्स वसूलती है।
अब आपको बताना चाहेंगे कि हम जिस श्रिष्टी निर्माता भगवान की संपूर्ण भूमि पर हम रहते हैं उनका टेक्स कितना बनता होगा ।
दान करने से मनुष्य कई समस्याओं,परेशानियों,
बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
दान करने से आपका यश,कीर्ति बढ़ते हैं ।
दान करने से कभी भी लक्ष्मी कम नही होती बल्कि और अधिक बढ़ती है।
लक्ष्मी और धन दोनों मे बहुत अंतर है। जहाँ लक्ष्मी चलायमान रहती है,अगर आपके जीवन मे जरा भी लक्ष्मी हो तो जीवन ऐश्वर्य सुख सम्रद्धि मे व्यतीत होता है।
और अगर आपके पास अपार धन भी है तो आपके किसी काम नही आएगा ।रखा रहेगा सिर्फ़ आपकी बड़ी बीमारी,अय्याशी,दूसरों का बुरा करने के लिए ही बाहर आएगा ।आपने उपयोग कर लिया तो आपकी संतान उस धन का इसी प्रकार दुरूपयोग करगी ।
इसलिए भगवान का टेक्स भरकर धन को लक्ष्मी मे परिवर्तित करें और सुख और ऐश्वर्य के साथ जीवन व्यतीत करें।
अगर आपकी आय
हज़ारों मे है तो दान सैकड़ों मे करें
लाखों मे है तो दान हजारों में करें
करोड़ मे है तो दान लाख में करें
अरब मे है तो दान करोड़ में करें
यह क्रम इसी प्रकार आगे बढ़ाए।
इस प्रकार दान करने के बाद आपके ऊपर भगवान की असीम कृपा होगी ।
दान करने से सबसे पहला लाभ आपको स्वयं एवं आपके आश्रित परिवार के स्वास्थ्य मे मिलता है।
ओर अगर आप स्वस्थ है शरीर निरोगी है ।मतलब आपको सबकुछ मिल गया क्योंकि…..
(निर्मल काया पहली माया)
५ मोक्ष प्राप्ति
मोक्ष प्राप्त करना सरल तो नही है लेकिन कलयुग मे ज्यादा कठिन भी नही है,इसके लिए अपने मन को भगवान की भक्ति के लिए तैयार करना होगा ।
मन में एक सुविचार को स्थान देना होगा कि परम पिता परमेश्वर ही अटल सत्य है,यह श्रष्टी उसी परमात्मा के आदेश पर चलती है ।
हम कुछ भी नही कर सकते,सबकुछ वही करता है यदि हम ईश्वर पर सम्पूर्ण आश्रित हो जाएँ तो प्रभु हमे अवश्य अपनी शरण प्रदान करेंगे ।
हर क्षण यदि हरि स्मरण किया तो मोक्ष प्राप्ति अवश्य होगी।
जीवन मरण मे सिर्फ परेशानियाँ है,सच्चा सुख तो सिर्फ भगवत शरण मे है,ब्रह्म लीन होने मे है।
६ किससे माँगे,कहाँ हाथ फैलाएं
प्राणी मात्र को जो भी मिलता है वह सिर्फ और सिर्फ भगवान ही देता है।यह तो हमारी मूर्खता है जो हम सोचते हैं कि मैंने यह कमा लिया,यह पा लिया ।
जो प्रभु ने दिया है सिर्फ वही मिला है अगर हम ही अपनी दम पर सब पा लेते तो प्रत्येक व्यक्ति धनाढ्य रहता,सभी का स्वयं का हेलिकॉप्टर रहता।
इसलिए आपके जीवन के लिए जो भी चाहिए सिर्फ भगवान से ही मांगे, उसके सामने ही अपने हाथ फैलाए, झोली फैलाएं।
और मुख से उच्चारण करके मांगे, प्रभु से बोले कि है भगवन मुझे आपसे यह वस्तु चाहिए आप मुझपर कृपा करें ओर मेरी यह मनोकामना पूरी करें ।
अगर उच्चारण करके नही मांगा तो नही मिलेगा ,
क्योंकि की वह मन के विचारों को सुनकर कार्यवाही करने लग गया तो इंसान की खैर नही।
दिन कई गलत विचार मन मे आते है,उसका फल दे दिया तो ।
कभी हम दुखी होते हैं तो मन ही मन भगवान को कोसना शुरू कर देते हैं , उसका फल दे दिया तो ।
इसलिए बोलेंगे तो आपकी मनोकामना अवश्य पूरी होगी।
७ दिवानगी
किसी भी काम मे सम्पूर्ण सफलता के लिए काम के प्रति दिवानापन जरूरी है ।
लाज शर्म सब त्याग कर काम करना जरूरी है ।
तो आइये प्रभु की भक्ति मे दिवाने हो जायें ।नृत्य भक्ति करें ओर अपनी भगवत भक्ति को सफल करें।